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भाषा को लेकर विभाजन के खिलाफ सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए : संघ

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की आज से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुरू तीन दिवसीय बैठक में संघ के कार्य विस्तार और दृढ़ीकरण का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया।

21 Mar 2025

भाषा को लेकर विभाजन के खिलाफ सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए : संघ

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि भाषा के नाम पर देश में चल रही विभाजन की राजनीति को काटने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए। वहीं परिसीमन के मुद्दे पर उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत के विषय पर संघ ने कहा है कि गृहमंत्री इस संबंध में आश्वासन दे चुके हैं कि लोकसभा सीटों का अनुपात पहले के समान ही रहेगा।

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की आज से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुरू तीन दिवसीय बैठक में संघ के कार्य विस्तार और दृढ़ीकरण का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। बैठक (21-23 मार्च) का शुभारम्भ आज प्रातः 9:00 बजे सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर किया। बैठक में लगभग 1450 प्रतिनिधि उपस्थित हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने बेंगलुरु में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि संघ मणिपुर में मैतई और कुकी दोनों समुदायों के बीच कई गतिविधियां चलाता है और इनके माध्यम से दोनों जनजातीय समूह में शांति के प्रयास के लिए कार्यरत है। उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति में सुधार हो रहा है लेकिन अभी भी काफी समय लगेगा। भाषा के नाम पर हो रही राजनीति और नई शिक्षा नीति में तीन भाषा फार्मूले पर संघ ने कहा कि संघ मातृ भाषा को बढ़ावा देने और उसमें शिक्षा दिए जाने का पक्षधर है। साथ ही वह स्वयंसेवकों और समाज को अन्य भारतीय भाषाओं को भी सीखने के लिए प्रेरित करता है।

संघ संगठन क्षमता की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि देशभर में एक करोड़ से अधिक स्वयंसेवक हैं और इनमें से करीब 6 लाख प्रतिदिन शाखा जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी कई स्वयंसेवक विविध क्षेत्रों में संघ प्रेरित संगठनों में कार्यरत हैं।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश भर के 73,646 स्थान पर संघ की गतिविधियां चल रही हैं। इनमें से 51,710 स्थान पर दैनिक गतिविधियां और 21,936 स्थान पर साप्ताहिक गतिविधियां चल रही हैं। 83,139 शाखाएं देश भर में चल रही हैं। पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 हजार शाखाएं बढ़ी हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में संघ ने ग्रामीण क्षेत्र में विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है। कुल 58,981 ग्रामीण मंडलों में से 30,770 स्थान पर शाखाएं लग रही हैं और पिछले साल के मुकाबले इसमें 3 हजार की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सरसंघचालक के आह्वान पर दो साल का समय देने वाले 2,453 लोगों ने अपना घर छोड़ा है।

संघ में नए कार्यकर्ताओं के जुड़ने के बारे में उन्होंने बताया कि हर वर्ष 14 से 25 वायु वर्ग के नए स्वयंसेवक जोड़ रहे हैं। पिछले वर्ष 4450 प्रारंभिक वर्ग लगाए गए हैं। इनमें 2.23 लाख ने भागीदारी की है। वहीं दूसरी ओर जॉइन आरएसएस के माध्यम से भी लोग संघ से जुड़ रहे हैं। अब तक का 12 लाख से अधिक लोग इसके माध्यम से जुड़े हैं जिनमें 46000 महिलाएं हैं।
 

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